Thursday, September 29, 2011

डराने के लिए ,डर का कारोबार.

डराने के लिए ,डर का कारोबार.
डर इंसान की सबसे ताकतवर और प्राचीनतम इमोसन(भावना ) है .

The oldest and strongest emotion of mankind is fear."
--- H.P. Lovecraft .

क्या डरना जरूरी है ??.
डर का हमारे आधुनिक जीवन में क्या महत्व है ?
आधुनिक सोच यही कहती है नियंत्रित डर से हम अपने मस्तिष्क को खतरों से लड़ने की ट्रेनिंग दे सकते हैं .हम अपने परिवार को स्पेसियली छोटे बच्चों को भी आज डरावनी फिल्मों को देखने की इजाजत आराम से दे रहे हैं .
क्या इसमें कोई खतरा तो नहीं ???
आज हमारे लिए डर पर काबू पाना बहुत जरूरी हो गया है ,
बच्चा पढाई के डर से पीड़ित है ,
किशोर प्रेम संबंधों की असफलता ,या न होने की आशंका से पीड़ित है ,
पिता कारोबार और नौकरी के डर से पीड़ित है ,
तो ग्रहिणी परिवार की समस्यायों से डरती है ,
ब्रद्ध मृत्यु के डर से व्याकुल हैं ,यानी डर सबको सताता है ,
तो फिर डर से बचा कैसे जाये ??
सिर्फ नियंत्रित स्थितियों में ट्रेनिंग द्वारा डर पर काबू पाना सीख सकते हैं,कहते हैं कि डर के आगे जीत है
चाहे वो अड्वेंचर गेम हों या फ़िल्में ,कहानी या वार्तालाप,कॉमिक या सीरियल .कुछ भी एसा हो जो काल्पनिक डर पैदा कर धड़कन बढ़ा दे ,आज का फिल्म उद्योग चाहे होलीबुड,हो या बौलीबुड .सभी जगह डर का कारोबार चल रहा है ,बिना डर को शामिल किये कोई फिल्म बनाना असंभव सा लगता है ,

एसा क्यों है ???
आधुनिक काल के शोधकर्ताओं ने पाया है कि डर सबसे अधिक ताकतबर भावना है ,आज लोग डराने के लिए पैसे खर्च कर रहे हैं ,अगर इंसान के सामने से डर ख़त्म हो जाये तो जीवन नीरस सा लगता है ,हम डर के साए में रहकर जितना तेजी और सटीकता से अपने कार्य को अंजाम देते है ,उतना किसी अन्य भावना के द्वारा नहीं ,डर के दौरान हम लालच ,और सेक्सुअल अट्रेकसन, से भी अधिक तेजी काम को अंजाम देते हैं ,
एसा क्यों ?
हमारे शोधकर्ता बताते हैं ,कि जब जीवन खतरे में होता हैं तो हमारे शरीर के अन्दर बहुत तेजी से एड्रेनेलिन नामक हारमोन का श्रवण (secretion ) होता है ,जो कार्य को तेजी फुर्ती और दुरुस्ती से संपन्न करवाता है ,हमारा मस्तिस्क ,और पूरा शरीर एक मशीन की तरह बिना थके अवश्यक महत्वपूर्ण क्रियाओं को अंजाम देता है ,
यही कारण है कि आज होरर/डरावनी फिल्मों की मांग तेजी से बढ़ती जा रही है ,आज अड्वेंचर खेलों का प्रचलन बढ़ रहा है ,आज जांवाजी एक जूनून सा बन गया है,डर के दौरान एक शर्त है ,आपको खुद के ऊपर डर को काबू नहीं पाने देना है .अगर डर ने आपके ऊपर काबू पा लिया तो ,आप कुछ भी नहीं कर सकते ,
इसलिए सबसे महत्वपूर्ण है डर पर काबू पाना ,
यही कारण है ,कि हमें डर पर काबू पाने के लिए खुद को बार बार डरने की ट्रेनिंग देनी पड़ती है ,क्योंकि डर के आगे जीत है .किसी ज़माने में हम बच्चों को डरावनी मूवी देखने की इजाजत नहीं देते
थे
क्योंकि पुराने ज़माने की फ़िल्में भूत प्रेत से डराने की कोशिस करतीं थीं ,और उसका दुष्परिणाम होता था,रात में बच्चों का सपने में डर जाना ,या सदैव के लिए भूत से डरपोक बन जाना लेकिन आज की फिल्मों में फिल्म देखने के बाद सदैव के लिए डरपोक बन जाने का खतरा बिलकुल नहीं है ,क्योंकि आज की फ़िल्में पूरी तरह काल्पनिक हैं ,हम अपने बच्चों और स्वयं को इस काल्पनिक डर से सपने में तो डर सकते हैं ,लेकिन स्थायी रूप से डरने के लिए डरने का वास्तविक कारण काल्पनिक होने के कारण ,हम अपने बच्चों को और स्वयं को डर के प्रति आश्वश्त कर सकते है ,
हम आज के युवा को हम हिंसा रहित साफ़ सुथरी फिल्मों से संतुष्ट नहीं कर सकते ,यद्यपि पुरानी फिल्मों में भी खलनायकों की परम्परा रही है लेकिन उनमें नायक प्रधान फ़िल्में अधिक सफल होतीं थीं ,लेकिन आज का दौर खलनायक प्रधान फिल्मों की और बढ़ रहा है ,डर पर आधारित फिल्मों का नया दौर सा चल पड़ा है
सबसे सफल कारोबार करने बाली होलीबुड की 12 फिल्मों में से 9 फ़िल्में (75 % ) काल्पनिक डर पर आधारित हैं ,


,आज का डर भूत प्रेतों से नहीं नहीं , नई वैज्ञानिक खोजों पर आधारित ,
डायनोसोर्स(जुरासिक पार्क ) ,
गोडजिला ,
एलियंस,
स्टार वार्स
,हेरी पोटर में जादुई खलनायक १ to 6,
लोर्ड ऑफ़ दा रिंग्स 1to 3 .
दा ममी,
टाइटेनिक
ममी
रिटर्न्स
,एक्सोर्सिस्ट.
,जोड़ीअक,
सिक्स्थ सेन्स ,
इंटरव्यू विथ वेम्पायर,
,हेलोबीन,
हौन्टिंग मूवीज से डराया जा रहा है .इसे देखने के लिए हम उतावले हैं ,वयस्क तो वयस्क आज डरने के लिए बच्चे भी उतावले हैं ,लेकिन ध्यान रहे ,मूवी के बाद बच्चों को वास्तविकता से अवगत करा दें ,यह सब काल्पनिक है .

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